Sunday, February 8, 2015

9

ख्वाब था की ये जहां हरपल यूँही मेरे क़ाबू में रहेगा इंतेज़ार में हूँ वक़्त की जब दिल ही मुख़ालिफ़त मे कुछ तो कहेगा
अर्ज़ फ़रमाता रहा फिर भी मुस्तक़िल नाकाम
हाल-ए-दिल नाज़ुक फिर भी ख़ामोशियों में सहेगा

Thursday, March 6, 2014

8

जो भी बातें आयी है मन में 
लफ्ज़ो में कैसे करूं बयां 
वोही एहसास घूम फिर के आये 
शब्द न हुए कुछ नया 

Sunday, November 24, 2013

7



मैं शायर तो पहले से था 
आपकी रवैया मुझे शराफत सीखाया
   मंज़िल तो मुझे पेहले से पता था
   आपकी रहनुमाई ने मुझे रास्ता दिखाया
   आप से  रूबरू  होकर 
   ना जाने क्या कुछ समझ पाया 
   दरबदर फिरता था मैं तन्हाइयो में 
   शुक्रगुज़ार हूँ खुदा का के आपसे जो मिलवाया  

Tuesday, November 19, 2013

6

मौसम दबी दबी सी है तुम्हारी तरह 
जैसे गुलाब अपनी महक खो गयी हो 
इस मायूसी कि वजह न समझ पाऊं 
चौदवीं का चाँद धुन्दली जो हो गयी हो 

Sunday, November 17, 2013

5

जज़बातों के लिए हर लफ्ज़ कम होती है 
दिलकश नज़ारे में खोकर जो रोती है 
आँखों के आँसू पोछकर बाँहों में सिमट जा 
उलझी होकर ढूंढ़ने से भी कोई तो मिलती है 

Tuesday, November 12, 2013

4

तेरा एहसान किस पर होगा ये तो बतादे
 दिल के अंदर झांककर प्यार तो जतादे 
 सनम अनजान हो या ना ये सवाल बेमतलब है
किसीको खुश किस्मत होने का हक़ तो सदा दे

Monday, November 11, 2013

3

बीती हुई नगमे याद आये तो आने दो 
दिल रोना चाहे तो आँसुओ को बहने दो 
पोंछके छिपा रहे हो  ग़म को मुस्कुराए हुए 
उस जज़बात को एकबार इख्तियार तो होने दो